dementia disease

मनोभ्रंश रोग  :-इस रोग से पीड़ित व्यक्ति की स्मरण शक्ति बेहद कमजोर हो जाती है ,जिससे वे अपना दैनिक क्रियाकलापों को भलीभांति संपादित नहीं कर पता है । मनोभ्रंश पीड़ित रोगी के दिमाग की क्षमता में लगातार ह्रास होता रहता है ।यह दिमागी संरचना में शारीरिकपरिवर्तनों के फलस्वरूप होता है ।  ये परिवर्तन स्मृति ,सोच ,आचरण एवं मानसिक लक्षणों को प्रभावित करते हैं ।वास्तव में मनोभ्रंश किसी बीमारी विशेष का नाम नहीं ;शारीरिक परिवर्तनों के लक्षणों के समूह का नाम है ,जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित है ।

कारण:-1 आनुवंशिक। 2 .मस्तिष्क को रक्त पहुँचाने वाली नसें क्षतिग्रस्त होने के कारण 3 .अधिक धूम्रपान करने के कारण। 4 .रक्त में चर्वी बढ़ने के कारण। 5 .उच्च रक्त चाप के कारण। 6 .मधुमेह के कारण आदि ।

लक्षण :-1 .धीरे -धीरे याददाश्त काम होना। 2 .निर्णय लेने की शक्ति का ह्रास। 3 .वस्तुओं को रख कर भूल जाना। 4 .समय एवं स्थान में भ्रम की स्थिति। 5 .छोटी -छोटी बातों पर झुंझलाना। 6 चुप रहना। 7 कपड़े उल्टे या गलत पहनना।  8 कथनों या प्रश्नों को दुहराना आदि मनोभ्रंश रोग के मुख्य लक्षण हैं ।

उपचार :-(1 )शंखपुष्पी के पौधे के ताजे रस में मिश्री मिला कर पीने से मनोभ्रंश रोग का नाश होता है ।  

             (2 )बाह्मी के स्वरस या ब्राह्मी वटी के सेवन से इस रोग से मुक्ति मिलेगी । 

             (3 )बच के चूर्ण को घी के साथ मिलकर चाटने से मनोभ्रंश रोग का नाश होता है ।

             (4 )अश्वगंधा के चूर्ण को गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से इस रोग का नाश होता है ।

             (5 )मण्डूकपर्णी के सेवन से मनोभ्रंश रोग का नाश होता है ।

             (6)हल्दी के प्रतिदिन सुबह -शाम एक चम्मच दूध के साथ सेवन से यह रोग दूर हो जाता है ।


mania disease

उन्माद :-उन्माद रोग एक प्रकार का मानसिक रोग है ,जो मानसिक दुर्वलता के कारण बाह्य एवं संवेगात्मक परिस्थितियों से सहज प्रभावित होता है ।इस बीमारी में रोगी में पल में खुश होने और दूसरे पल नाखुश हो जाने जैसा असामान्य परिवर्तन होता है । यह रोग स्त्री एवं पुरुष दोनों में होता है।

कारण:-(1 )मानसिक दबाव का होना । 

           (2 )ऐसी घटना जिसका रोगी के जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ा हो ।

           (3 )अत्यधिक चिंतित रहना,भ्रम,शोक,क्रोध,हर्ष,मैथुन में असफलता आदि ।

           (4 )आर्थिक संकट या दिवालिया होना ।

           (5 )काम- वासना की अतृप्ति ।

           (6 )मादक पदार्थों का अधिक सेवन । 

           (7 )दिमाग में रसायनों का असंतुलित होना आदि ।

लक्षण :-विना कारण बोलना,हंसना,रोना,नाचना,गाना;सामान्य रूप से ज्यादा खुश दिखना;अपने -आपको राजा महाराजा की तरह पेश करना;यौन इच्छा में बढ़ोतरी का अनुभव करना;सोने की इच्छा में कमी;छोटी -छोटी बातों पर बेवजह गुस्सा करना;बहुत सारे काम एक साथ करना परन्तु एक काम सही तरह नहीं कर पाना आदि उन्माद रोग के लक्षण हैं । 

   उपचार ;-(1 )एक तोला इसवगोल शाम को पानी में तर कर रखने और सवेरे मिश्री मिलाकर खाने से उन्माद रोग नष्ट होता है ।

             (2 )इमली को रात में भिगों कर सवेरे पन्ना बना,मिश्री मिलाकर पीने से उन्माद रोग दूर हो जाता है । 

             (3 )चंपा के फूल 2 तोला ,शहद 1 तोला एक साथ मिलाकर एक सप्ताह प्रातः -सायं चाटने से उन्माद रोग का नाश होता है ।

             ( 4) पीपल ,दारू हल्दी ,मंजीठ ,सरसों ,सिरम के बीज ,हींग ,सोंठ काली मिर्च -सबको 10 -10 ग्राम लेकर कूट- पीस, कपड़छान कर

              चूर्ण को बकरी के मूत्र में पीसकर नश्य देने से उन्माद रोग नष्ट हो जाता है ।  

             (5 )खिरेंटी (सफ़ेद फूलों वाली )का चूर्ण 4 तोला,10 ग्राम पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण इन दोनों को क्षीर -पाक विधि से दूध में पकाकर ठंडा 

             कर प्रतिदिन प्रातः काल पीने से घोर उन्माद रोग का नाश हो जाता है ।यह अचूक एवं अनुभूत औषधि है इसमें कोई संदेह नहीं ।


epilepsy disease

मिर्गी या अपस्मार :-मिर्गी रोग एक मस्तिष्कीय विकृति है,जो दिमाग में रक्त संचरण अथवा तंतुओं में किसी प्रकार की विकृति आ जाने के कारण होता है।मानव मस्तिष्क असंख्य तंत्रिका कोशिकाओं की क्रियाशीलता को नियंत्रित करता है।हमारे मस्तिष्क के सभी कोशिकाओं में विद्युत् का संचार होता है ;लेकिन जब कभी इसमें असामान्य रूप से विद्युत् का संचार होने लगता है तो व्यक्ति को एक विशेष प्रकार का झटका लगता है और व्यक्ति बेहोश हो जाता है। यह अवधि चाँद सेकंड ,मिनट या घंटों तक की हो सकती है।

उपचार :-(1 )लहसुन 1 तोला,काला तिल 3  तोला,या काले तिलों का तेल 2 तोला ,दोनों को मिलाकर प्रतिदिन सुबह -शाम 21 दिनों तक खाने से मिर्गी रोग नष्ट हो जाता है। 

             (2 )बाह्मी का रस 1 तोला ,शहद1 तोला मिलाकर पीने से मिर्गी रोग तीन दिनों में ही दूर हो जाता है।

             (3 )आक की जड़ की छाल को बकरी के दूध में रगड़ कर नश्य देने से मिर्गी रोग दूर हो जाता है ।  

             (4)पेठा के स्वरस में पिसी हुई 6 माशा मुलेठी रोजाना खाने से मिर्गी रोग नष्ट होता है \  


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