hernia disease

पेट का हर्निया रोग : - पेट का हर्निया रोग एक अत्यंत जटिल एवं कष्टकारी बीमारी है,जो देहगुहा को ढ़कने वाली झिल्ली या आवरण के फ़ट जाने या क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण होती है।हर्निया के कई प्रकार हैं; किन्तु जब हम हर्निया की बात करते हैं तो उदार यानि पेट की हर्निया से ही मतलब होता है। वैसे तो जिस अंग में हर्निया निकलता है उसी अंगों के नाम से जाना जाता है। वास्तव में हर्निया शरीर के अंदर की मांसपेशी  के आवरण से बहार आना ही हर्निया कहलाता है। अधिकांश हर्निया ज्यादा घातक नहीं होते हैं;किन्तु इसे उपचार द्वारा ही ठीक किया जा सकता है।  कभी - कभी इसे आपातकालीन चिकित्सा की आवश्यकता पड़ती है और जिसे टाला नहीं जा सकता। 

लक्षण : - गोल उभार का होना,कुछ उतरने जैसा आभास होना,छूने पर आवाज का अनुभव,दर्द,गांठ होना,सूजन, पेट निचले भाग में कुछ नीचे की ओर अंगों का सरकने जैसा अनुभव होना आदि पेट के हर्निया के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण : - आघात,लम्बी अवधि तक खांसी होना,जन्मजात विकार,कब्ज, भरी वजन उठाना,जलोदर रोग,मोटापा,गर्भावस्था,आनुवंशिक आदि पेट के हर्निया रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1) फाइवर युक्त आहार जैसे - पालक,गाजर,मशरूम,चुकुन्दर,शलगम,कद्दू,ब्रोकली,बीन्स आदि के नियमित सेवन से पेट के हर्निया रोग में बहुत लाभ होता है। 

(2) नट्स एवं ड्राई फ्रूट्स के नियमित सेवन से भी पेट के हर्निया रोग में बहुत लाभ होता है। 

(3) फलों के नियमित सेवन ( सेब,केला,आड़ू,नाशपाती ) से पेट के हर्निया में बहुत फायदा होता है। 

(4) साबुत अनाज जय या गेहूं का दलिया,ब्राउन राईस आदि के सेवन से भी पेट के हर्निया रोग में बहुत लाभ होता है। 

(5) वजन यानि मोटापा को नियंत्रित रख कर भी पेट के हर्निया रोग से बचा जा सकता है। 

(6) मल त्याग एवं उत्सर्जन क्रिया के समय जोर नहीं लगाना चाहिए जिससे पेट के हर्निया रोग में बहुत लाभ रहता है। 

(7) संतुलित आहार एवं स्वस्थ आहार के सेवन से भी पेट के हर्निया रोग में अत्यंत फायदा होता है। 

(8) दैनिक जीवन में हर्निया के रोगी को वजन उठाने से भी हमेशा बचना चाहिए जिससे हर्निया के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है। 

(9) अंकुरित अनाज जैसे - गेहूं,मूंग,चना आदि सेवन से भी पेट के हर्निया रोगी को बहुत लाभ होता है। 

योग,आसान एवं प्राणायाम : - अनुलोम - विलोम, कपालभाति,भ्रामरी,भस्त्रिका,शलभासन आदि। 


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