vaginal cancer

योनि कैंसर :- योनि कैंसर महिलाओं की एक घातक बीमारी है,जो योनि के ऊतकों में पाया जाता है।आमतौर पर पचास साल से अधिक आयु की महिलाओं में योनि का कैंसर अधिक होता है,लेकिन वर्तमान परिवेश में किसी भी उम्र में हो सकता है।महिलाओं में प्राथमिक योनि कैंसर स्क्वैमस कार्सिनोमा सबसे आम कैंसर है,पेपिलोमा वायरस के कारण होता है।दूसरा योनि की परत में (गुप्त) ग्रंथि कोशिकाओं से योनि एडेनोकार्सिनोमा उत्पन्न होता है,जो फेफड़ों और लिम्फ नोड्स में फ़ैल जाने की ज्यादा सम्भावना होती है।इसके कई चरण होते हैं -(1) इसमें योनि की दीवार तक सीमित होती है।(2)योनि के बगल में ऊतक में फ़ैल जाता है।(3) इसमें कैंसर श्रोणि में आगे फ़ैल जाता है।(4) इसमें मूत्राशय या गुदा के आसपास के क्षेत्रों में फ़ैल जाता है।(5) यकृत से दूर क्षेत्रों में फ़ैल जाता है।

लक्षण:- योनि से अनियमित रक्तश्राव,नियमित माहवारी या पीरियड के बीच के अंतराल में भी खून आना,सहवास के बाद योनि से खून आना,मीनोपॉज के बाद भी खून आना,वैजाइनल डिस्चार्ज गंधयुक्त और पीपदार होना,पेशाब में परिवर्तन,आंत में समस्या,कब्ज या काळा मॉल का होना,पेट साफ न होना,पेल्विक पेन,योनि में भारीपन,पैरों में दर्द आदि योनि कैंसर के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण:- यौन भागदारियाँ,धूम्रपान,एच.आई.वी.संक्रमण आदि योनि कैंसर के कारण हैं।

उपचार:- (1) हल्दी,दारू हल्दी,अम्बा हल्दी सबको सामान मात्रा में लेकर कूट पीस कपड़छान कर रख लें और 

                  प्रतिदिन सुबह और शाम एक चम्मच ताजे जल के साथ सेवन करने से योनि कैंसर की बीमारी का नाश हो जाता है।

            (2)नोनी फल या नोनी जूस के प्रयोग से योनि कैंसर समूल नष्ट हो जाता है।यह अचूक एवं अनुभूत है।

             (3)अश्वगंधा पाउडर का प्रतिदिन सुबह शाम जल के साथ सेवन से योनि कैंसर में आराम मिलता है।


Pelvic inflammatory disease

श्रोणि सूजन बीमारी:- भारतीय समाज में सेक्स सम्बन्धी चर्चा या इसकी शिक्षा के बारें में ज्ञान देना अनुचित माना जाता है,जिसके कारण इस सम्बन्ध में युवतियों या महिलाओं में ज्ञान का आभाव है।इसके कारण स्त्रियों में यौन रोगों का होना एक बहुत बड़ी समस्या है।जागरूकता या ज्ञान के आभाव के कारण महिलाओं में श्रोणि सूजन या जलन की बीमारी का होना एक गंभीर कारण है।यह बीमारी महिलाओं के प्रजनन अंगों में होने वाला संक्रमण है ,जो यौन संचारित बैक्टीरिया महिलाओं की योनि से गर्भाशय,फैलोपियन ट्यूव या अंडाशय तक फ़ैल जाता है।इससे ग्रसित महिलाओं को लक्षण या संकेत का अनुमान नहीं होता ,इसलिए उन्हें उपचार की जरुरत महसूस नहीं होती।नतीजन वे गर्भवती नहीं हो पाती हैं और उन्हें पेल्विस (पेट के निचले भाग में )दर्द रहने लगता है।यह बीमारी अधिकतर 25 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को होने वाली बीमारी है। कामेन्द्रियों में लिप्त महिलाएं जिसकी उम्र 25 से कम होती हैं ,उनको 25 से अधिक उम्र के वालों से ज्यादा खतरा होता है;क्योंकि इस उम्र की लड़कियों और युवतियों की ग्रीवा (सर्विक्स )पूर्णतः परिपक़्व नहीं होती हैं तथा वे यौन संचारित बीमारी के लिए अति संवेदनशील होती हैं जो श्रोणि जलन बीमारी का कारण बनती है।

लक्षण:- पेट के निचले भाग में दर्द,बदबूयुक्त स्राव,सम्भोग के समय दर्द का अनुभव,पेशाब करते समय 

           दर्द,मासिक धर्म के दौरान अनियमित रक्तस्राव होना आदि श्रोणि जलन या सूजन के मुख्य लक्षण हैं। 

कारण:-(1 )25 वर्ष से कम उम्र की महिला का यौन रूप से सक्रिय होना।

           (2)कई पुरुषों के साथ यौन सम्बन्ध बनाना।

            (3)ऐसे पुरुष से यौन सम्बन्ध बनाना जिसके एक से अधिक सेक्स पार्टनर हों।

            (4)असुरक्षित सेक्स करना।

            (5)नियमित रूप से योनि को रासायनिक द्रव से धोना आदि।

उपचार:- (1)दो सौ ग्राम तुलसी के बीजों को कूट पीस कर उसमें पाँच सौ ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर गाय के दूध 

                  के साथ सुबह -शाम सेवन करने से श्रोणि सूजन की बीमारी नष्ट हो जाती है।

              (2)पीपल की दाढ़ी (जटाएं) एक ग्राम और पीपल के फल तीन ग्राम दोनों को पीसकर सुबह -शाम 

                   बछड़े वाली गाय के दूध के साथ सेवन करने से श्रोणि सूजन की बीमारी का समूल नाश हो जाता है। 

                   यह अनुभूत एवं अचूक औषधि है।

               (4)गूलर के फलों का चूर्ण को सुबह -शाम ठण्डे जल के साथ सेवन करने से श्रोणि सूजन की बीमारी 

                   का नाश हो जाता है।

               (5)बरगद के दूध को बताशे में मिलाकर सुबह -शाम सेवन करने से श्रोणि सूजन की बीमारी का नाश 

                   हो जाता है।

 

 


leukorrhea disease

श्वेत प्रदर  : - श्वेत प्रदर महिलाओं की एक आम बीमारी हैं ,जिसमें योनि से सफ़ेद पानी एवं चिपचिपा सफ़ेद रंग का तरल पदार्थ निकलता है। किसी अन्य प्रकार के संक्रमण के कारण चिपचिपा एवं बदबूदार हल्का पीला या हल्का लाल रंग का भी हो सकता है। यह महिलाओं के स्वास्थ्य पर अत्यंत बुरा प्रभाव डालता है। वास्तव में श्वेत प्रदर महिलाओं के स्वास्थ्य का नाश कर देता है। इस रोग से पीड़ित महिलाओं के मुख मंडल पर जो एक स्वाभाविक तेज होता है ,वह दिखाई नहीं देता है। इसके अतिरिक्त कमजोरी,चिड़चिड़ापन आ जाना उसके व्यक्तित्त्व का सर्वनाश कर देता है। इसलिए श्वेत प्रदर का समय से उपचार करा लेना आवश्यक है। स्वाभाविक में सामान्यतः सफ़ेद योनिक स्राव के साथ खुजलाहट या चुनमुनाहट नहीं होती है;किन्तु जब खुजली हो रही हो तो यह संक्रमण का लक्षण है

लक्षण :- योनि मार्ग में तीव्र खुजली,चुनचुनाहट,कमर में दर्द,पेट में भारीपन रहना,कमजोरी अनुभव होना,चक्कर आना,भूख न लगना,जी मिचलाना,चिड़चिड़ापन,बार - बार पेशाब आना,आलस्य का रहना,सफ़ेद पानी या सफ़ेद रंग का गाढ़ा चिपचिपा पदार्थ का योनि से स्राव होना,आँखों के नीचे काला घेरा का हो जाना आदि श्वेत प्रदर के प्रमुख लक्षण हैं।  

श्वेत प्रदर के स्वाभाविक कारण :- (1)काम उत्तेजना के कारण 

                                            (2)गर्भवती होने पर 

                                            (3) मासिक धर्म के कुछ दिन पहले 

                                            (4)बीजोत्पत्ति के दिन इस्ट्रोजन के कारण 

                                            (5)सम्भोग के कारण इत्यादि।

श्वेद प्रदर के बीमारी के कारण :-  (1)गर्भपात के कारण 

                                            (2)सम्भोग काल में अत्यधिक घर्षण युक्त आघात के कारण 

                                            (3)रोग ग्रस्त पुरुष के साथ सम्भोग करने के कारण 

                                            (4)दो -तीन पुरुषों से एक साथ अत्यधिक सम्भोग करने के कारण 

                                            (5)सम्भोग के बाद योनि को स्वच्छ जल से न धोने के कारण 

उपचार :- (1)एक चम्मच आंवला चूर्ण और 2 -3 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से श्वेत प्रदर की बीमारी नष्ट हो जाती है। 

 (2) 2 चम्मच प्याज का रस और २ चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम पीने से श्वेत प्रदर की बीमारी समूल नष्ट हो जाती है।

 (3) एक बड़ा चम्मच तुलसी का रस और उतना ही शहद मिलाकर सुबह -शाम सेवन करने से श्वेत प्रदर की बीमारी समूल नष्ट हो जाती है।

 (4) गाय के दूध के साथ बंग भस्म के सेवन करने से श्वेत प्रदर की बीमारी का नाश हो जाता है।    

 (5)10 ग्राम सोंठ को एक कप पानी में काढ़ा बनाकर पीने से श्वेत प्रदर की बीमारी का नाश हो जाता है।

 (6) माजूफल,बड़ी इलायची और मिश्री समान भाग लेकर दो सफ्ताह तक सुबह -शाम सेवन करने से श्वेत प्रदर की बीमारी नष्ट हो जाती है। 

 (7)भुने हुए चने में खांड मिलाकर खाने से श्वेत प्रदर की बीमारी का नाश हो जाता है।  

 (8) नागरमोथा,लाल चन्दन,आक के फूल,अडूसा,चिरायता,दारू हल्दी,रसोंत सबको पीस लें और एक लीटर पानी में उबालें।जब आधा रह जाय तो 100 ग्राम          शहद मिलाकर दिन में 50 -50 ग्राम की मात्रा सुबह -शाम सेवन करने से श्वेत प्रदर की बीमारी का नाश हो जाता है। 


delay in menses

मासिक धर्म में देरी के कारण :-.मासिक धर्म संसार में प्रत्येक लड़की और महिला के शरीर की एक प्राकृतिक क्रिया है और यह उनके जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा भी है।कभी -कभी महिलाओं को मासिक धर्म में देरी की समस्या से भी गुजरना पड़ता है, जो उनके लिए बड़ा ही कष्टप्रद होता है।आजकल महिलायें मासिक धर्म को जल्दी या देरी से लाने का प्रयास करती हैं,जो उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव डालती हैं। मासिक धर्म में देरी के कुछ कारण निम्नलिखित हैं -

(१)हार्मोन में बदलाव 

(२)बीमारी जैसे -थायरॉइड ,पी.ओ.एस.(पोलिस्टिक ओवरी सिंड्रोम ),सही पोषक तत्त्व न लेना आदि 

(३)तनाव 

(४)दवाइयों का प्रतिकूल प्रभाव 

उपचार :-

(१)एक चम्मच सौंफ चार चम्मच पानी में डालकर उबालें और फिर छानकर पानी को ठंडा कर दिन में थोड़ी -थोड़ी देर बाद पीने से मासिक धर्म समय पर आने लगता है।

(२)दालचीनी पॉउडर आधा चम्मच को दूध में मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से मासिक धर्म नियमित हो जाता है और साथ ही ज्यादा रक्त स्राव भी नहीं होता है।  

(३)आधा चम्मच अदरक के रस को शहद में मिलाकर मासिक धर्म होने की तारीख से एक सप्ताह पहले खाना शुरू करने से देरी की समस्या से निजात मिल जाती है। 

(४)एक कटोरी पका पपीता या पपीता का जूस मासिक की तारीख से एक या दो सप्ताह पहले खाने या जूस पीने से मासिक धर्म की समस्या दूर हो जाती है ।

(५)आधा चम्मच अरंडी के तेल से  पेट के निचले हिस्से की मालिश करें और १५-२० मिनट तक सिकाई मासिक धर्म के एक सप्ताह पहले से करें ।आपकी मासिक धर्म की सारी समस्या दूर हो जाएगी ।  


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