eye cancer

आँखों का कैंसर रोग :- आँखों का कैंसर एक अत्यंत गंभीर एवं कष्टदायक रोग है,जो आँखों के भीतर शुरु होता है या शरीर के किसी अन्य अंगों से आँखों में फैलने के कारण होता है।स्तन कैंसर एवं फेफड़ों का कैंसर दो सबसे आम कैंसर है,जिससे आँखों में फैलता है।आँखों में ट्यूमर एक बहुत ही कष्टप्रदायक स्थिति होती है।द्विदृष्टिता का आ जाना एवं दूर दृष्टि कमजोर हो जाती है।आँखों के कैंसर के प्रकारों में अन्तः चाक्षुष ट्यूमर में उवेअल मेलेनोमा, ट्यूमर रंजित परितारिका एवं रोमक देह में होने वाला होता है।अन्तः चाक्षुष ट्यूमर सबसे आम घातक होता है।इसे रेटिनोब्लास्टोमा भी कहा जाता है।यह रेटिना की कोशिकाओं में शुरु होकर आँखों के अन्य भागों में फ़ैल जाता है।

लक्षण :- दृष्टि ह्रास,डबल दृष्टि,तिरछी दृष्टि,सफ़ेद या पीले रंग की चमक,आँखों में लालिमा,दर्द,आँख के केंद्र में सर्कल में परिवर्तन आदि आँखों के कैंसर के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- आनुवांशिक कारण,पराबैंगनी प्रकाश के संपर्क के कारण,बढ़ती उम्र,आँखों में आघात,कैंसर का अन्य अंगों से स्थानांतरण आदि आँखों के कैंसर के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) काली मिर्च को पीसकर चूर्ण बनाकर आधा चम्मच की मात्रा को घी एवं बूरा के साथ प्रतिदिन खाने से आँखों का कैंसर एक महीने में ही दूर हो जाता है।

(2) अदरक स्वरस ,गुलाब जल एवं शहद समान मात्रा लेकर मिलकर रख लें और प्रतिदिन एक - दो बूंदें आँखों में डालने से आँखों का कैंसर दूर हो जाता है।

(3) धनिया एक चम्मच जल में उबालें और प्रतिदिन एक -दो बूंदें आँखों में डालने से आँखों का कैंसर ठीक हो जाता है।

(4) नोनी फल के जूस का प्रतिदिन सुबह - शाम 15 - 20 एमएल सेवन करने से आँखों का कैंसर या अन्य किसी भी प्रकार का कैंसर भी ठीक हो जाता है।

(5) अंगूर के बीजों के चूर्ण का भी सेवन करने से आँखों का कैंसर ठीक हो जाता है।

(6) हल्दी पाउडर को गर्म जल में आधा चम्मच,आधा नीम्बू का रस एवं शहद मिलाकर प्रतिदिन सुबह - शाम सेवन करने से आँखों के कैंसर में बहुत लाभ मिलता है।


eye choroid disease

आँखों का रक्तक विकार रोग :- आँखों का रक्तक विकार रोग एक अत्यंत गंभीर रोग है,जिसके कारण आँखें लाल हो जाती है।आँखों में कोरॉयड कोशिकाएं होती हैं जो रेटिना को ऑक्सीजन एवं रक्त की आपूर्ति प्रदान कर रेटिना को ठंडा और गर्म रखता है।कोरॉयड की स्वस्थता पर ही आपकी आँखें और अच्छी दृष्टि कार्य करने के लिए पर्याप्त रक्त आपूर्ति पर भरोसा करती है।कोरॉयड में गहरे रंग के मेलेनिन वर्णक प्रकाश को अवशोषित करते हैं और आँखों के भीतर प्रतिबिम्ब सीमित करते हैं,जो दृष्टि को कम कर सकते हैं।जब मेलेनिन को प्रकाश विषाक्तता के खिलाफ कोरॉयड रक्त वाहिकाओं की रक्षा के लिए किये गए प्रयास के कारण आँखे लाल हो जाती हैं।

लक्षण :- आँखे लाल हो जाना,दृष्टि क्षीणता,आँखों में दर्द,सिर दर्द आदि आँखों के रक्तक विकार रोग के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- कोरॉयड का संक्रमित हो जाना,कोरॉयड कोशिकाएं का क्षीण हो जाना आदि आँखों के रक्तक विकार रोग मुख्य कारण हैं।

उपचार :-  (1) आँखों में प्रतिदिन गुलाब जल डालने से आँखों का रक्तक विकार रोग दूर हो जाता है।

(2) शहद की दो - तीन बूंदें प्रतिदिन डालने से आँखों का रक्तक विकार दूर हो जाता है।

(3) चुकुन्दर,आंवला एवं गाजर के टुकड़े को एक गिलास जल में डालकर धीमी आंच पर उबालें और एक चौथाई शेष रहने पर छानकर पीने से आँखों का रक्तक विकार रोग दूर हो जाता है।

(4) पालक को उबालकर पीने से रक्तक विकार रोग दूर हो जाता है।

(5) गुलाब जल की दो - तीन बूंदें आँखों में डालने से रक्तक विकार रोग दूर हो जाता है।

(6) अदरक स्वरस,गुलाब जल एवं शहद समान भाग मिलाकर दो - तीन बूंदें आँखों में डालने से रक्तक विकार रोग दूर हो जाता है।


eye lens disease

आँखों का लेंस विकार रोग :- आँखों का लेंस विकार आँखों का एक गंभीर रोग है।आँखों का लेंस प्रकाश के अपवर्तन के सिद्धांतों पर काम करता है और वस्तु का वास्तविक अथवा काल्पनिक प्रतिबिम्ब बनाकर स्वच्छ छवि को दिखाता है।किन्तु जब लेंस में विकार आ जाता है तो तो प्रतिबिम्ब को रेटिना के आगे या पीछे दिखाने लगता है और प्रतिबिम्ब बनता है तो स्पष्ट दृष्टिगोचर नहीं हो पाता है।इसे ही आँखों का लेंस विकार रोग कहा जाता है।पीछे प्रतिबिम्ब बनने पर उत्तल लेंस और आगे बनने पर अवतल लेंस का चश्मा लगाकर इसे दूर किया जाता है,किन्तु आयुर्वेद में इसे ठीक किया जा सकता है।

लक्षण :- धुंधली दृष्टि,रात में कम दिखाई देना,एक आँख में दोहरी दृष्टि,आँख का रोग,प्रकाश की संवेदनशीलता,निकट दृष्टि दोष आदि आँखों का लेंस विकार रोग के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- आघात,उम्र का बढ़ना,आनुवांशिक विकार,विकिरण के संपर्क में,चर्मरोग,विटामिन सी की कमी,धूम्रपान,मधुमेह,मोटापा,उच्च रक्तचाप आदि आँखों का लेंस विकार रोग के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) काली मिर्च के चूर्ण को घी बूराके साथ मिलाकर पतिदिन खाने से लेंस विकार रोग दूर हो जाता है।

(2) चुकुन्दर,पालक,आंवला एवं गाजर के टुकड़े - टुकड़े करके दो गिलास जल में डालकर धीमी आंच पर उबालें और जब एक चौथाई शेष रहे तब छानकर प्रतिदिन सुबह - शाम पीने से लेंस विकार रोग ठीक हो जाता है।

(3) आंवला स्वरस,चुकुन्दर का रस एवं शहद समान भाग मिलाकर प्रतिदिन सुबह - शाम सेवन करने से लेंस विकार रोग दूर हो जाता है।

(4) अदरक स्वरस,गुलाब जल एवं शहद समान भाग मिलाकर एक - दो बून्द आँख में डालने से लेंस विकार रोग दूर हो जाता है।

(5) गुलाब जल की दो -तीन बूंदें आँखों में डालने से लेंस विकार रोग ठीक हो जाता है।


eye infection

आँखों का संक्रमण रोग :- आँखों में संक्रमण या इन्फेक्शन की समस्या अत्यंत कष्टप्रदायक होती है,जो विषाणु के कारण होता है। " रोहा " नामक विषाणु के कारण भारत में अंधापन की समस्या अधिकतर पाई जाती है। आँखों में इंफेक्शन बैक्टीरिया,फंगस या वाइरस की वजह से होता है,जिसमें आँखों में लालिमा,पानी आना,जलन होना,सिरदर्द,

दृष्टि में धुंधलापन आदि विशेष लक्षण दृष्टिगोचर होते हैं। यह अधिकतर बरसात ख़त्म होने के बाद भी वातावरण में मौजूद नमी,फंगस एवं मक्खियों की वजह से बैक्टीरिया का तेजी से पनपने के कारण होता है।

लक्षण :- आँखें लाल होना,आँखों में पानी आना,आँखों में जलन होना,सिरदर्द,वामन,दृष्टि का धुंधलापन,आँखों में दर्द आदि आँखों में संक्रमण या इंफेक्शन के प्रमुख कारण हैं।

कारण :- सुजाक,उपदंश,तपेदिक,क्षय रोग,चोट लगना आदि आँखों में संक्रमण या इन्फेक्शन के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) काली मिर्च को पीसकर घी बूरा के संग प्रतिदिन खाने से आँखों का संक्रमण रोग समाप्त हो जाताहै।

              (2) मिटटी के नए पात्र में पानी डालकर उसमें त्रिफला डाल दें और सबेरे आँखों को धोने से कुछ ही 

                    दिनों में आँखों का संक्रमण रोग ठीक हो जाता है।

              (3) आंवला चूर्ण पाँच ग्राम की मात्रा प्रतिदिन रात्रि में सोते समय सेवन करने से आँखों का संक्रमण रोग 

                    ठीक हो जाता है।

              (4) 50  ग्राम धनियां कूट कर पानी में उबालें और ठंडा करके कपड़े से छानकर शीशी में रख लें। 

                   प्रतिदिन दो-दो बूंदें आँखों में डालने से आँखों का संक्रमण रोग समाप्त हो जाता है।

              (5) हरड़,बहेड़ा और आंवला समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर रख लें और प्रतिदिन दो से पाँच ग्राम की 

                    मात्रा को घी एवं मिश्री संग खाने से आँखों का संक्रमण रोग समाप्त हो जाता है।

              (6) प्रतिदिन आँखों में गुलाब जल की दो-दो बूंदें डालने से आँखों का संक्रमण या इन्फेक्शन ठीक हो 

                   जाता है।


periorbital dark circles disease

आँखों का काला घेरा रोग :- आँखों का काला घेरा रोग आज के वर्तमान परिवेश में भागदौड़ एवं तनाव युक्त जिंदगी के कारण एक आम समस्या है।यह उम्र वृद्धि,नींद की कमी एवं पौष्टिक भोजन के अभाव तथा समय पर भोजन न करने आदि के कारण विशेष तौर पर होता है।शरीर में पानी की कमी,तनाव,धूप,प्रदुषण में अधिक रहने एवं अनियमित दिनचर्या,रक्त की कमी,लीवर की समस्या आदि के कारण आँखों के आसपास कल घेरा हो जाता है।

लक्षण :- आँखों के नीचे की त्वचा का रंग बदल जाना,कालापन आ जाना,रूखी सी त्वचा आँखों के आसपास होना,आँखों के आसपास सूजन आ जाना आदि आँखों का काला घेरा रोग के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- आनुवंशिकता,उम्र वृद्धि,रूखी त्वचा,अधिक आसूँ बहाना,कंप्यूटर के सामने देर तक कार्य करना,मानसिक एवं शारीरिक तनाव,पौष्टिक भोजन का अभाव,थकान,नींद की कमी,अनिद्रा,आँख मलना या धूप में ज्यादा देर रहना,धूम्रपान और शराब का अधिक सेवन,गर्भावस्था,आयरन की कमी आदि आँखों का काला घेरा रोग के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) चन्दन का तेल और जैतून का तेल मिलाकर आँखों के काले घेरों पर 

                   लगाने से कुछ ही दिनों में गायब हो जातें हैं।

              (2) 50 ग्राम तुलसी के पत्ते,50 ग्राम नीम के पत्ते और 50 ग्राम पुदीने को 

                   बारीक़ पीसकर उसमें हल्दी पाउडर थोड़ा सा एवं गुलाब जल मिलाकर 

                   आँखों के काले घेरों पर लगाने से इसका नाश हो जाता है।

              (3) खीरे या आलू के रस को लेकर आँखों के काले घेरों पर लगाने से यह दूर 

                    हो जाता है।

              (4) ग्लिसरीन एवं संतरे का रस मिलाकर प्रतिदिन लगाने से आँखों के काले 

                    घेरे दूर हो जाते हैं।

              (5) एक चम्मच नीम्बू का रस,एक चम्मच बेसन,एक चम्मच हल्दी और एक 

                    टमाटर सबको लेकर पीसकर पेस्ट बनाकर आँखों के काले घेरों पर 

                    लगाने से कुछ ही दिनों में दूर हो जाते हैं



 






 


myopia disease

निकट दृष्टि दोष :- निकट दृष्टि दोष आँखों की एक सामान्य बीमारी है,जिसमें व्यक्ति निकट की वस्तुओं को स्पष्ट देख पाता है;परन्तु दूर रखी वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है।आँखों में स्थित अभिनेत्र लेंस की वक्रता बढ़ जाने या नेत्र गोलक लम्बा हो जाने की वजह से निकट दृष्टि दोष की समस्या उत्पन्न होती है।इस दोष से युक्त नेत्र में दूर बिंदु अनंत पर न होकर नेत्र के पास आ जाने के कारण दूर रखी वास्तु का प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल पर न बनकर दृष्टिपटल के सामने थोड़ा आगे बनता है,नतीजन स्पष्ट नहीं दिखाई पड़ता है।

लक्षण :- दूर की वास्तु स्पष्ट नहीं दीखना,टेढ़ा -मेढ़ा दिखना,धुंधला दिखना,आँख पर जोर डालना,सिरदर्द,वहां चलने में दिक्कत,आँखों को मलना,अधिक बार आँखों को झपकाना आदि निकट दृष्टि दोष के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- नेत्र गोलक का लम्बा हो जाना,अभिनेत्र लेंस की वक्रता अधिक हो जाना,आनुवंशिक कारण,पर्याप्त रोशनी में काम नहीं करना,शराब का अधिक सेवन,अत्यधिक टी। वी।देखना आदि निकट दृष्टि दोष के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) शुद्ध शहद की एक-दो बूंदें प्रतिदिदं आंखों में डालने से निकट दृष्टि दोष दूर हो जाता है।

              (2) सोंफ और धनिया बीज समान भाग लेकर कूट पीसकर उसमें बराबर मात्रा मिश्री मिलाकर सुबह-शाम 10 ग्राम की मात्रा के 

                    सेवन से निकट दृष्टि दोष समाप्त हो जाता है ।

              (3) बादाम पांच से दश रात्रि में पानी में भिगों दे और सुबह छिलका उतार कर पीस लें और दूध में डालकर उबालें । गुनगुना रहने 

                    पर प्रतिदिन पीने से निकट दृष्टि दोष समाप्त हो जाता है ।

              (4) एक कप गर्म दूध में आधा चम्मच मुलेठी पाउडर,आधा चम्मच मक्खन और एक चम्मच शहद अच्छी तरह मिलाकर रात को 

                    सोते समय पीने से निकट दृष्टि दोष दूर हो जाता है।

              (5) अमरुद,संतरे,नीम्बू,टमाटर,शिमला मिर्च,गोभी,पालक आदि खाद्य पदार्थों के नियमित सेवन से एक महीने में निकट दृष्टि दोष दूर 

                    हो जाता है।

              (6) जिंकयुक्त खाद्य पदार्थों जैसे दूध,पनीर,दही,रेड मीट आदि के सेवन निकट दृष्टि दोष दूर हो जाता है ।


hypermetropia disease

दूर या दीर्घ दृष्टि दोष : - दूर या दीर्घ दृष्टि रोग आँखों की एक गंभीर समस्या है,जिसमें व्यक्ति दूर स्थित वस्तुओं को तो स्पष्ट देख सकता है :परन्तु निकट रखी वस्तुओं को तो स्पष्ट नहीं धुंधला देख पाता है ।आँखों में स्थित अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी या नेत्र गोलक के आकार में कमी या छोटा हो जाने के कारन आनेवाली प्रकाश की किरणें व्यक्ति के निकट बिंदु सामान्य निकट बिंदु से दूर हैट जाने के कारन वस्तु का प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल पर नहीं बनकर उससे थोड़ा पीछे बनता है और नजदीक रखी वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है एवं धुंधला दिखाई पड़ता है।

लक्षण :- नजदीक की वस्तएं स्पष्ट नहीं दीखना,सिरदर्द,धुंधला दिखना,टेढ़ा-मेढ़ा दिखना,आँख पर जोर पड़ना,ठीक से दिखाई न देना,आँखों में 

             जलन,आँखों में सूखापन,स्पष्ट देखने के लिए आँखें मींचना आदि दूर या दीर्घ दृष्टि दोष के प्रमुख लक्षण हैं ।

कारण :- अभिनेत्रा लेंस की फोकस दूरी का बढ़ जाना,नेत्र गोलक का छोटा हो जाना,आँख में ट्यूमर का होना आदि दूर या दीर्घ दृष्टि दोष के 

             मुख्य कारण हैं ।

उपचार :- (1) गुनगुने दूध में एक चम्मच हल्दी पाउडर डालकर प्रतिदिन पीने से दूर दृष्टि दोष समाप्त हो जाता है ।

              (2) अंगूर के बीजों का जूस प्रतिदिन पीने से दूर दृष्टि दोष समाप्त हो जाता है ।

              (3) बादाम को मिक्सर में पीसकर चूर्ण बनाकर दूध में एक चम्मच मिलाकर प्रतिदिन पीने से दूर दृष्टि दोष समाप्त हो जाता है। 

              (4) बिच्छू वूटी की पत्तियों को पानी में उबालकर ठंडा कर प्रतिदिन दो बार पीने से दूर दृष्टि दोष दूर हो जाता है ।

              (5) पपीता का जूस का सेवन प्रतिदिन दो बार करने से भी दूर दृष्टि दोष समाप्त हो जाता है ।

              (6) एक चम्मच हल्दी पाउडर को एक चम्मच शहद में मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से दूर दृष्टि दोष समाप्त हो जाता है ।

              (7) शहद को पानी में मिलाकर आँखों में प्रतिदिन दो -तीन बार डालने से भी दूर दृष्टि दोष समाप्त हो जाता है ।

              (8) एवोकैडो तेल के सेवन से भी दूर दृष्टि दोष दूर हो जाता है ।

              (9) सोंफ के चूर्ण में समान भाग मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से दूर दृष्टि दोष समाप्त हो जाता है ।


 


cataract disease

मोतियाबिंद रोग :- मोतियाबिंद अधिक उम्र के व्यक्तियों के आँखों का रोग है,जिसमें आँखों के क्रिस्टलीय लेंस धुंधला एवं दूधिया हो जाता है।इस रोग से ग्रसित व्यक्ति के आँखों की देखने की शक्ति में कमी आ जाती है।कभी -कभी तो पूर्णरूपेण दृष्टि का क्षय हो जाता है।समय के साथ मणिभ लेंस तंतुओं के चयापचयी परिवर्तनों की वजह से मोतियाबिंद विकसित हो जाती है और दृष्टि कम या नष्ट हो जाती है।

प्रकार :- 1 सब्सेप्सुलर मोतियाबिंद:- यह लेंस के पीछे की ओर होनेवाला मधुमेह के रोगियों एवं स्टेरॉयड दवा का सेवन करने वालों को होता 

               है।

             2 न्यूक्लियर मोतियाबिंद :- यह आमतौर पर उम्र बढ़ने पर होता है।

             3 कॉर्टिकल मोतियाबिंद :-यह लेंस की परिधि में शुरू होकर धीरे -धीरे केंद्र की तरफ बढ़ती है।

लक्षण :- धुंधला दिखाई देना,अस्पष्टता,गाड़ी चलाते समय सामने वाली लाइट अधिक चमकदार दिखना आदि मोतियाबिंद के प्रमुख लक्षण हैं।

कारण :- आँखों में चोट या सूजन,आँखों में स्थित क्रिस्टलीय लेंस का धुंधला एवं दूधिया हो जाना,आंखों में प्रोटीन का गुच्छन हो जाना,बढ़ता 

              उम्र, पराबैंगनी विकिरण,आनुवंशिक कारण,डायबिटीज,उच्च रक्तचाप,मोटापा,शराब का अधिक सेवन,धूम्रपान,स्टेरॉयड का प्रयोग 

              आदि मोतियाबिंद के मुख्य कारण हैं।

उपचार :- (1) सफ़ेद प्याज का रस एवं शहद समान भाग मिलाकर एक या दो बून्द आँखों में प्रतिदिन डालने से मोतियाबिन्द ठीक हो जाता है।

               (2) मिटटी के नए पात्र में त्रिफला रात में डालकर भिगों दें और सबेरे आँखों को धोने से चार सप्ताह में मोतियाबिंद ठीक हो जाता 

                    है।

                (3) पालक,गाजर और चुकंदर के छोटे -छोटे टुकड़े करके एक ग्लास जल में डालकर धीमे आंच में उबालें आधा शेष रहने पर 

                     छानकर उसमें एक चम्मच शहद डालकर पिने से मोतियाबिंद की बीमारी दूर हो जाती है ।

                (4) विटामिन सी एवं ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से मोतियाबिंद ठीक हो जाती है ।

                (5) केला,हरी पत्तीदार सब्जियों का अपने दैनिक जीवन में उपयोग करने से भी मोतियाबिंद की बीमारी में बहुत आराम मिलता है।

                (6) सूरजमुखी के बीजों,बादाम एवं पालक को अपने भोजन में शामिल कर मोतियाबिन्द की बीमारी से बचा जा सकता है ।


glaucoma disease

 

ग्लूकोमा :आँख कुदरत की एक खूबसूरत उपहार है ;किन्तु नेत्र सम्बन्धी विकार ईश्वर की अनमोल दृष्टि क्षमता को नष्टकर मानव के दर्शनीय अद्भुत आनंद को किरकिरा कर देते हैं ।उन विकारों में ग्लूकोमा प्रमुख रोग है ।इस रोग में आँखों में भरे हुए द्रव्य के प्रवाह में अवरोध जाने के कारण आँखों में दबाव बनने लगता परिणामस्वरुप यह बीमारी हो जाती है कभी -कभी निकट दृष्टिदोष,मधुमेह अथवा आँखों में चोट लगने से भी हो जाता है होली के त्यौहार में आँखों में गुलाल ,रंग ,आदि जाने से भी ग्लूकोमा की बीमारी हो सकती है

लक्षण :ग्लूकोमा में धीरे-धीरे देखने की क्षमता का ह्रास के अलावा  कोई विशेष लक्षण नहीं होता फिर भी निम्न लक्षण होता है -(1 )गंभीर आँखों का दर्द (2)जी मिचलाना (3 )आँखों में लालपन (5)अकस्मात् दृष्टि की गड़बड़ी (5 )रौशनी के चारों और रंग के छल्ले को देखते हुए अचानक धुंधला दिखना आदि  

उपचार :-(1)भीमसेनी कपूर को स्त्री के दूध में घिसकर प्रतिदिन लगाने से यह बीमारी दूर हो जाती है

              (2 )छोटो पीपल ,लाहोरी नमक ,समुद्री फेन और काली मिर्च 10 -10 ग्राम लेकर इसे 200 काले सुरमे के साथ 500 मिलीलीटर गुलाब अर्क या सोंफ अर्क में सारा अर्क सूखने तक घोटें और इसे प्रतिदिन लगाएं ग्लूकोमा की बीमारी से निजात मिल जाएगी     

              (3 )10 ग्राम गिलोय का रस ,1 ग्राम  शहद ,1 ग्राम सेंधा नमक को बारीकपीसकर सभी को मिलाकर अंजन की तरह रोज लगाने से ग्लूकोमारोग से मुक्ति मिलती है \  

 

 


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