कीटोएसिडता रोग :- कीटोएसिडता रोग एक अत्यंत कष्टप्रद रोग है,जिसमें शरीर में कीटोन की अधिकता हो जाती है। वास्तव में मानव शरीर में दो प्रमुख अम्ल एसिटोएसिटिक एवं बीटा - हाड्रोक्सी - ब्युटीरेट ही कीटोएसिडता रोग के मुख्य घटक होते हैं। इन दोनों अम्लों की अधिकता से रक्त में अम्ल का निर्माण होने लगता है और यह शरीर के लिए अत्यंत घटक स्थिति पैदा कर देता है। समय रहते इलाज की आवश्यकता होती है;किन्तु उपचार न होने पर जानलेवा सिद्ध होती है। 

कीटोएसिडता रोग के प्रकार :- (1 ) मद्य जन्य (2 ) उपवास जन्य (3 ) मधुमेह जन्य 

कारण :- लम्बे समय तक मधुमेह रोग का होना,शराब का अत्यधिक प्रयोग, उपवास आदि कीटोएसिडता रोग के प्रमुख कारण हैं। 

उपचार :- (1 ) जामुन,अमरुद,नीम,तुलसी,बबूल के पत्तों का काढ़ा प्रतिदिन एक कप की मात्रा सुबह - शाम सेवन करने से कीटोएसिडता रोग में बहुत आराम मिलता है। 

(2 ) करेले का जूस प्रतिदिन एक कप के मात्रा सुबह - शाम सेवन करने से कीटोएसिडता रोग में अत्यंत लाभकारी है। 

(3 ) दालचीनी के चाय प्रतिदिन पीने से कीटोएसिडता रोग में अत्यंत लाभ पहुंचाता है। 

(4 ) मेथी एक चम्मच प्रतिदिन रात में भिंगो दें और सुबह चबाकर खाने से कीटोएसिडता रोग में बहुत फायदा पहुंचता है। 

(5 ) अदरक की चाय पीने से भी कीटोएसिडता रोग में अत्यंत लाभप्रद है। 

(6 ) एलोवेरा जूस का प्रतिदिन सेवन कीटोएसिडता रोग में रामबाण सिद्ध होता है। 

(7 ) अखरोट,बादाम को पीसकर सुबह - शाम एक चम्मच शहद के साथ सेवन कीटोएसिडता रोग में अत्यंत लाभकारी है। 

योग एवं प्राणायाम : - कपालभाति,अनुलोम - विलोम,भ्रामरी,चक्रासन आदि। 


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