रोमक शरीर विकार रोग : - रोमक शरीर विकार आँखों का एक गंभीर रोग है ,जिसमें रोमक शरीर एवं रोमक मांसपेशी में विकार उत्पन्न हो जाता है। इसमें लेंस एवं पुतली के आकार को बदल देती है यानि उसके आकार में परिवर्तन या बदलाव हो जाता है। वास्तव में रोमक शरीर आँखों की दीवार की मध्य परत का एक हिस्सा है,जो रिंग के आकार की मांसपेशी होती है एवं आँखों के फोकस को नियंत्रित करती है। इसके अतिरिक्त आँखों को भरने वाले द्रव को बनाने का कार्य भी करता है। 

लक्षण : - दृष्टि हानि,लालिमा,आँखों में दर्द,आँखों के क्षेत्र में दर्द,श्वेत पटल पैदा हो जाना,अंधापन आदि रोमक शरीर विकार रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण : - उवेइटिस में सूजन,सिफलिस या एच आई वी का संक्रमण,आइरिस में विकार आ जाना आदि रोमक शरीर विकार रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1) काली मिर्च को पीसकर घी बूरा के संग प्रतिदिन खाने से रोमक शरीर विकार रोग ठीक हो जाता है। 

(2) आंवला चूर्ण प्रतिदिन पांच ग्राम की मात्रा सेवन करने से रोमक शरीर विकार ठीक हो जाता है। 

(3) हरड़, बहेड़ा और आंवला समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन दो - तीन ग्राम घी एवं मिश्री के संग खाने से रोमक शरीर विकार ठीक हो जाता है। 

(4) गुलाब जल की दो - तीन बूंदें प्रतिदिन आँखों में डालने से रोमक शरीर विकार ठीक हो जाता है। 

(5) बादाम गिरी,काली मिर्च,अखरोट और मिश्री को कूट पीसकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन सेवन करने से आँखों का रोमक शरीर विकार रोग ठीक हो जाता है। 

(6) बादाम,सोंफ और मिश्री समान भाग लेकर चूर्ण बनाकर प्रतिदिन सेवन करने से आँखों का रोमक शरीर विकार रोग दूर हो जाता है। 

योग एवं प्राणायाम : - अनुलोम- विलोम, कपालभाति,भ्रामरी भस्त्रिक, आँखों को दाएं - बाएं, ऊपर - नीचे,गोल - गोल घुमाना आदि। 


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