नेत्र वर्त्मग्रन्थि विकार रोग : - नेत्र वर्त्मग्रन्थि विकार आँखों की एक आम बीमारी है,जिसमें पालक की अश्रु ग्रंथि धीरे - धीरे बढ़ जाती है और उनमें सूजन एवं जलन वाली गांठ बन जाती है। प्रारम्भ में कलेजीयन पालक में छोटे दाने की तरह होते हैं और कुछ ही दिनों में बड़ा,लाल एवं रबड़ जैसा हो जाता है किन्तु यह दर्द रहित होता है। वास्तव में कलेजीयन के कुछ मामलों में उपचार की आवश्यकता नहीं होती है,किन्तु लम्बे समय तक रहने पर इलाज की आवश्यकता होती है। 

लक्षण : - पालक का भारीपन,पलक पर दर्द रहित सूजन,धुंधली दृष्टि,आँखों में खुजली आदि नेत्र वर्त्मग्रन्थि विकार रोग के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण : - कंप्यूटर में लम्बे समय तक काम करना,पालक के किनारे मेइबोमियन ग्रंथि का अवरुद्ध होना, विषाणु संक्रमण आदि नेत्र वर्त्मग्रन्थि विकार रोग के मुख्य कारण हैं। 

उपचार : - (1) एक सूती कपड़े को गर्म पानी में डुबाकर निचोड़कर पलकों पर सेंक लगाने से नेत्र वर्त्मग्रन्थि विकार रोग ठीक हो जाता है। 

(2) ग्रीन टी को गर्म पानी में डिप करके अतिरिक्त पानी को निचोड़कर बंद आँखों पर रखने से नेत्र वर्त्मग्रन्थि विकार रोग ठीक हो जाता है। 

(3) आम के पत्ते को डाली से तोड़ने पर जो रस निकलता है उसे बंद आँखों पर लगाने से नेत्र वर्त्मग्रन्थि विकार ठीक हो जाता है। 

(4) अजवाइन के रस को बंद आँखों पर लगाने से वर्त्मग्रंथि विकार ठीक हो जाता है। 

(5) आलू को पीसकर बंद आँखों पर लेप करने से वर्त्मग्रंथि विकार दूर हो जाता है। 

(6) हरीतकी को पानी के साथ घिसकर बंद आँखों पर लगाने से वर्त्मग्रंथि विकार ठीक हो जाता है। 

(7) पत्थरचट्टा के पत्ते को पीसकर बंद आँखों पर लेप करने से वर्त्मग्रंथि विकार ठीक हो जाता है। 


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