प्रमस्तिष्क अंगघात या पक्षाघात रोग : - प्रमस्तिष्क पक्षाघात एक अत्यंत गंभीर बीमारी है,जो मांसपेशियों में संकुचन या खिंचाव के साथ ही एक जन्मजात विकार के कारण होता है। कभी - कभी जन्म से पहले दिमाग के असामान्य विकास के कारण भी प्रमस्तिष्कीय अंगघात या पक्षाघात होता है। प्रमस्तिष्क पक्षाघात में मस्तिष्क के दोनों भागों में असामान्यतया एवं क्षति के कारण शारीरिक गति के नियंत्रण को समाप्त कर देती है। प्रमस्तिष्क पक्षाघात बच्चों के जन्म के पहले,जन्म के समय एवं जन्म के उपरांत भी होने की प्रबल संभावना हो सकती है। वास्तव में प्रमस्तिष्क पक्षाघात एक अत्यंत जटिल अवस्था है जो मांसपेशियों में सामंजस्य न होने के कारण यह मस्तिष्क का एक विकार है जो मस्तिष्क के मोटर कंट्रोल सेंटर के क्षतिग्रस्त होने के कारण सामान्यतया होता है। या यूँ कहें कि प्रमस्तिष्क पक्षाघात मस्तिष्क सम्बन्धी विकार है जो न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के कारण होता है। साधारण भाषा में मानव मस्तिष्क में शारीरिक गतिविधि को अपने नियंत्रण में रखने के लिए मस्तिष्क के जिस भाग का उपयोग होता है,उसमे विकार या कोई कमी के कारण मांसपेशियों का ठीक से काम नहीं कर पाना ही प्रमस्तिष्कीय पक्षाघात कहलाता है। 

लक्षण : - हाथ - पैरों का अकड़ जाना,शारीरिक अनियंत्रित गतिविधियां,वस्तुओं को पकड़ने में कठिनाई,चलने में दिक्कतें,मांसपेशियों में कमजोरी,निगलने में दिक्कत,बौद्धिक विकलांगता,बहरापन,अंधापन,सीखने में अक्षमता,करवट न बदल पाना,गर्दन स्थिर न हो पाना आदि प्रमस्तिष्क पक्षाघात के प्रमुख लक्षण हैं। 

कारण :- समय से पूर्व प्रसव,गर्भावस्था के दौरान माता को इंफेक्शन,कष्टदायक प्रसव,मस्तिष्क की कोशिकाओं में विकार,नवजात शिशु का पीलिया से संक्रमित होना,माँ एवं बच्चे का रक्त समूह एक न होना,मस्तिष्क में चोट लगाना,कुपोषण,भ्रूण तक ऑक्सीजन का अपर्याप्त रुप से पहुँच आदि प्रमस्तिष्क पक्षाघात के मुख्य कारण है। 

उपचार : - (1) बादाम,अखरोट,अंजीर आदि फलों के नियमित सेवन करने से प्रमस्तिष्क पक्षाघात में फायदा होता है। 

(2) दैनिक आहार में पर्याप्त संतुलित भोजन के खाने से भी प्रमस्तिष्क पक्षाघात में बहुत आराम मिलता है। 

(3) अश्वगंधा,बच,हल्दी,शंखपुष्पी,मालकांगनी,आदि के सेवन से प्रमस्तिष्क पक्षाघात में अत्यंत लाभ मिलता है। 

(4) शंखपुष्पी एवं ब्राह्मी के नियमित सेवन से प्रमस्तिष्क से सम्बन्धी विकार दूर हो जाते हैं। 

(5) संतुलित भोजन के द्वारा कुपोषण से होने वाले प्रमस्तिष्क पक्षाघात के विकारीं को दूर किया जा सकता है। 

(6) प्रमस्तिष्क पक्षाघात से उत्पन्न विकृति को कान की मशीन,चश्मा आदि के प्रयोग द्वारा कम किया जा सकता है। 

(7) आँतों को ताकत देने वाले खाद्य पदार्थों जैसे  - तरल पदार्थ,फाइवर युक्त खाद्य पदार्थ,मल सॉफलर,जुलाव,नियमित रुप से मल त्याग का अभ्यास आदि के द्वारा प्रमस्तिष्क पक्षाघात के दोषों को दूर किया जा सकता है। 

(8) पर्याप्त भोजन एवं पोषक पदार्थों के सेवन से प्रमस्तिष्क पक्षाघात की समस्याओं से बचा जा सकता है। 

(9) भ्रामरी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से प्रमस्तिष्क पक्षाघात से होने वाली समस्या धीरे - धीरे समाप्त हो जातीं हैं। 

(10) नियमित रुप से नाक में गाय के घी की कुछ बूंदें नाक में डालने से प्रमस्तिष्क पक्षाघात की समस्याओं को दूर किया जा सकता है। 

योग,आसान एवं प्राणायाम : - अनुलोम - विलोम,कपालभाति,भ्रामरी,भस्त्रिका,ॐ कार का उच्चारण आदि। 


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